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देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति अष्टमोऽध्यायः

This Mantra is published in the form of the discussion between a Expert and his disciple. This Mantra is known to generally be The crucial element into a peaceful state of head. 

अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं

क्लींकारी कामरूपिण्यै बीजरूपे नमोऽस्तु ते।

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ॐ ग्लौ हुं क्लीं जूं स:

अति गुह्यतरं देवि ! देवानामपि दुलर्भम्।।

श्री अन्नपूर्णा अष्टोत्तर शतनामावलिः

इति श्रीरुद्रयामले गौरीतंत्रे शिवपार्वतीसंवादे कुंजिकास्तोत्रं संपूर्णम् ।

सरसों के तेल का दीपक है तो बाईं ओर रखें. पूर्व दिशा की ओर मुख करके कुश here के आसन पर बैठें.

श्री दुर्गा अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम्

दकारादि दुर्गा अष्टोत्तर शत नामावलि

देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति द्वितीयोऽध्यायः

देवी माहात्म्यं दुर्गा द्वात्रिंशन्नामावलि

ग्रहों के अशुभ प्रभाव खत्म हो जाते हैं. धन लाभ, विद्या अर्जन, शत्रु पर विजय, नौकरी में पदोन्नति, अच्छी सेहत, कर्ज से मुक्ति, यश-बल में बढ़ोत्तरी की इच्छा पूर्ण होती है.

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